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राजन
वो जो इष्क़ की बातें न मुझसे करता है...
फ़िर भी बेइन्तेहा इष्क़ मुझसे करता है...
वो जो क़समें न खाए साथ निभाने की...
फ़िर भी साए सा साथ...हरदम रहता है...
मै भटकती हूँ नज़मों की तलाश में...तो...
खु़द नज़्म बन के ज़हन में उतरता है...
ऐसे शख़्स ने थामा है मेरी ज़िंदगी को...
दिल की हर ग़ज़ल मे वो उतरता है...
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