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कुछ

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"कुछ"

मनात माझ्या

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माझे असेच चालायचे..

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Ghazal queen.. AFTERNOON...Review of my ghazal album

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pls see the link below Ghazal queen.. http://www.facebook.com/note.php?note_id=395878009354&id=1341142587&ref=share

निकाह

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एक शायर ने किया ग़ज़ल से निकाह.. तमाम शेर-ओ-शायरी थे इसके गवाह.. सब को डर था कैसे होगा इनका निबाह.. शायर और ग़ज़ल की तो थी सिर्फ एक दूजे पे निगाह.. इसी लिये तो किया था उन दोनो ने निकाह..

(गुलज़ार साहब और जगजीत सिंग)

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ये तलवारे क्या करेंगी घायल किसी को... दो खंजर ही काफ़ी है जान लेने के लिये...’रूद’[सरिता]

राजन

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वो जो इष्क़ की बातें न मुझसे करता है... फ़िर भी बेइन्तेहा इष्क़ मुझसे करता है... वो जो क़समें न खाए साथ निभाने की... फ़िर भी साए सा साथ ... हरदम रहता है... मै भटकती हूँ नज़मों की तलाश में...तो... खु़द नज़्म बन के ज़हन में उतरता है... ऐसे शख़्स ने थामा है मेरी ज़िंदगी को... दिल की हर ग़ज़ल मे वो उतरता है...

कोई दे खुशी का तिनका

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कोई दे खुशी का तिनका उसपे ये जाँ निसार हम दे सके खु़शी गर ये ख़ुदा का इख़्तियार। कोई साथ दे तो एहसाँ रक्खेंगे ज़िंदगी भर उस ख़ुशफहम की ख़ातिर रह लेंगे ख़ारज़ार। कोई पूछे खै़रियत तो कहें हम है खै़रियत से मिले कोई ग़मग़ुसार तो कहें हम भी है ग़म-ए-यार। कोई लेगा इंम्तेहाँ तो दे जवाब इंम्तेहानन उसके इक इश्तेबाह(शक़) पर दे इंम्तेहाँ हज़ार। कोई है बरसता सावन कॊई ग़म का तलबग़ार कोई ग़म में मुस्कुराए कोई रोए ज़ार ज़ार । ’रूद’

चांद

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चांदनी में है चमकता हुआ रौशन सा जहाँ... इक चांद है वहाँ...... झिलमिलाते है इन आँखों में इशारे से जवाँ.. इक चांद है वहाँ..... तेरे दीदार से रौशन मेरा जन्नत-ए-जहाँ.. तू चांद है वहाँ..... झिलमिलाती हुई चांदनी यूँ छुपी है कहाँ? तू चांद है जहाँ....

कुछ भी रह जाए ना बाकी़ अब यहाँ से

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जहान-ए-रौशनी में हम

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जिस्म का चराग़ जले फ़िर ये क्यूँ है रौशनी दो दिलों के बीच छिडी अब दिलों की रागनी। उस चाँद के आगोश में अब चांदनी भी झूम उठे जिस्मों जहाँ पे लम्स(स्पर्श) की खिलने लगी है चांदनी। खुशबू है फैली कूबकू रूह पारही सुकूँ हुस्नो जिस्म ख़ामोशी से कर रहे तानाज़नी। दो किनारे एक हो चले लबे आरज़ू बुझी जले पहलूनशी है दो दिल मिले चले सिलसिले शबे नाज़नी। https://www.facebook.com/photo.php?v=1571940382030&set=vb.1341142587&type=2&theater

मैं हूँ ग़ज़ल....my ghazal album

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मैं हूँ ग़ज़ल....my ghazal album

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"इक पल" वो इक ’पल’ जैसा.. जो पल पल साथ रहता.. खयालों में बसता रहता.. मै उसे सोचती हूँ.. पर उसे पता ही नही चलता.. पलकों में इक मुराद बन बैठा है.. जो पूरी ना हो तो शबनम सा पिघल कर गिरता है.. मै कहाँ उसे गिरने देती.. मूंह छुपा कर चुरा लेती हूँ .. अपनी हथेली पर सजा लेती हूँ.. उसके सूख जाने से पहले.. मेरे होठ उसे अपने आगोश मे उठा लेते है.. और वो ’पल’ मुझमें समा जाता है.. वो ’पल’ मेरा हो जाता है.. ऐसा कई बार होता है.. पर उसे पता ही नही चलता.. वो इक ’पल’ जैसा है..
हम रहे य ना रहे कल, कल याद आएंगे ये पल.. हाँ पल दोस्ती के ये पल,चल संग संग जीले ये पल.. सपने अपने वादे ये रस्मे , थोडी सी है कस्मे सब रंग है अपने..दोस्ती के.. लडना झगडना बनाके मिटाना हँसते रुलाना.. रोते हँसाना झूमते गाते बीतेंगे ये पल...दोस्ती के.. आसमानी ... चाँद सितारे लिये हाथों में.. लहरों पर हम भट्के ऐसे फिर पालेंगे ये किनारे... कैसे कहे हम किसका हमे ग़म यादों मे तेरी आज भी हमदम भर आती हैं आँखें पल दो पल...हाँ.. हाँ.. हम रहे य ना रहे कल, कल याद आएंगे ये पल....
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बूंदों की छमक छम..बादल की धमक धम पुरवा की मधुर धुन.. आई रूत बरखा... by Sarita Bhave झुलत तन अधिर मन..कोयल का मधु गुंजन.. पवन करे सननन सन.. गाती रूत बरखा... by Sarita Bhave ऐसे मे मांगे मन.. सांसो की गुंजन.. भीग रहे तन मन.. संग भीजे साजन.. भीगी रूत बरखा..... by-Vandana Nigam.. बरसत है रागरंग.. हर मनके आंगन.. लय तरंग उठत संग.. पुलकित है हर मन.... सोहत रूत बरखा..... by-Arun.. मनवा की चहक सुन..सुरों की लडी बुन बिखरे है मोती चुन.. आई रूत बरखा.. by-Ashish Vilekar रुत बरखा, लय बरखा.. स्वर बरखा , धुन बरखा.. दिल पे गिरे बूंदे .. तन मन साजन बरखा... by Sanjeev birje रूत लय स्वर तन मन धुन..सजन संग कबहु मिलन.. गागर सा छलका तन.. प्यासी रूतू बरखा.. by Sarita Bhave गागर सा छलक तन.. पवन सा बहक मन.. लहरया मनतरंग.. इंद्रधनु रंग अंग... बरसे अखियन उमंग.. सांसो की आग बुझे प्यासों की प्यास जगे जागी रूत बरखा... by Sanjeev birje