कोई दे खुशी का तिनका

कोई दे खुशी का तिनका उसपे ये जाँ निसार
हम दे सके खु़शी गर ये ख़ुदा का इख़्तियार।
कोई साथ दे तो एहसाँ रक्खेंगे ज़िंदगी भर
उस ख़ुशफहम की ख़ातिर रह लेंगे ख़ारज़ार।
कोई पूछे खै़रियत तो कहें हम है खै़रियत से
मिले कोई ग़मग़ुसार तो कहें हम भी है ग़म-ए-यार।
कोई लेगा इंम्तेहाँ तो दे जवाब इंम्तेहानन
उसके इक इश्तेबाह(शक़) पर दे इंम्तेहाँ हज़ार।
कोई है बरसता सावन कॊई ग़म का तलबग़ार
कोई ग़म में मुस्कुराए कोई रोए ज़ार ज़ार ।
’रूद’
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